मुगल साम्राज्य (1526-1748)

 मुगल साम्राज्य (1526-1748)

1. मध्य एशियाई राजनीति और बाबर का भारत की ओर बढ़ना:

द तैमूरिड्स

तैमूरिद-उज़्बेक और उज़्बेक-ईरान संघर्ष और बाबर

बाबर का भारत की ओर बढ़ना।

2. उत्तर भारत में साम्राज्य के लिए संघर्ष :-

(i) अफगान, राजपूत और मुगल इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच संघर्ष - पानीपत की लड़ाई

पानीपत की लड़ाई के बाद बाबर की समस्याएँ- राणा साँगा से संघर्ष

पूर्वी क्षेत्रों और अफगानों की समस्याएं

बाबर का योगदान और भारत में उसके आगमन का महत्व

3. उत्तर भारत में साम्राज्य के लिए संघर्ष:-

(ii) हुमायूँ और अफगान

हुमायूँ के शासनकाल की व्याख्या - कुछ विचार

हुमायूँ की प्रारंभिक गतिविधियाँ, और बहादुर शाह के साथ संघर्ष

गुजरात अभियान

बंगाल अभियान, और शेर खान के साथ संघर्ष

4. उत्तर भारतीय साम्राज्य की स्थापना :-

सुर

शेर शाह का प्रारंभिक जीवन

बिहार की सामाजिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि और शेरशाह का सत्ता में उदय।

सूर साम्राज्य (1540-56) शेर शाह और इस्लाम शाह का योगदान।

5. साम्राज्य का सुदृढ़ीकरण एवं विस्तार-अकबर:-

अफगानों से संघर्ष - हेमू

सामंतों से संघर्ष बैरम खाँ का

रीजेंसी; उज़्बेक रईसों का विद्रोह

साम्राज्य का प्रारंभिक विस्तार (1560-76) – मालवा,

गढ़-कटंगा, राजस्थान, गुजरात, पूर्वी भारत

राजपूतों के साथ संबंध-समग्र शासक वर्ग का विकास

विद्रोह, और उत्तर पश्चिम में साम्राज्य का और विस्तार।

6. अकबर के अधीन राज्य एवं शासन :-

अकबर की आधिपत्य की अवधारणा

सरकार की संरचना, केंद्रीय और प्रांतीय-विकलाट, केंद्रीय मंत्रालय, प्रांतीय

सरकार, जिला और स्थानीय सरकार

सरकार की कार्यप्रणाली - शासक, भू-राजस्व प्रणाली, दहसला प्रणाली, मनसबदारी

प्रणाली और सेना

7. अकबर के धार्मिक विचार :-

उलमा और सामाजिक सुधारों के साथ संबंध

प्रारंभिक चरण (1556-73)

दूसरा चरण (1573-80) - इबादत खाना

वाद-विवाद - महजर - रूढ़िवादी के साथ उल्लंघन

उलमा - मदद-ए-माश अनुदानों का पुनर्गठन

तीसरा या अंतिम चरण - दीन-ए-इलाही - राज्य

नीतियां और धार्मिक सहिष्णुता

8. दक्खन और मुगल (1657 तक):-

1595 तक दक्कनी राज्य

मुग़ल दक्कन की ओर बढ़े

बरार, खानदेश और अहमदनगर के कुछ हिस्सों पर मुगल विजय

मलिक अंबर का उदय, और की निराशा

चकबंदी पर मुगल प्रयास (1601-27)

अहमदनगर का विनाश, मुगलों की स्वीकृति

बीजापुर और गोलकुण्डा का आधिपत्य

शाहजहाँ और दक्कन (1636-57)

दक्कनी राज्यों का सांस्कृतिक योगदान

9. मुगलों की विदेश नीति :-

अकबर और उज्बेक्स

कंधार का प्रश्न और ईरान के साथ संबंध

शाहजहाँ का बल्ख अभियान

मुगल-फारसी संबंध- अंतिम चरण

10. सत्रहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में भारत :-

जहाँगीर का राज्यारोहण - उसकी प्रारम्भिक कठिनाइयाँ

प्रादेशिक समेकन और के विस्तार

साम्राज्य - मेवाड़, पूर्वी भारत और कांगड़ा

नूरजहाँ, और नूरजहाँ 'जुंटा'

शाहजहाँ का विद्रोह, और महाबत खान का तख्तापलट

जहाँगीर एक शासक के रूप में

सत्रहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में राज्य और धर्म

शाहजहाँ - साम्राज्य का समेकन और विस्तार

मुगल शासक वर्ग और मनसबदारी व्यवस्था का विकास

11. औरंगजेब - धार्मिक नीतियां, उत्तर भारत और राजपूत

उत्तराधिकार का युद्ध :-

धार्मिक नीति : प्रथम चरण (1658-79)

सुधार और शुद्धतावादी उपाय, हिंदू

मंदिर, जजियाह; दूसरा चरण (1679-1707)

प्रादेशिक समेकन और साम्राज्य का विस्तार - उत्तर भारत

लोकप्रिय विद्रोह - जाट, सतनामी, अफगान और सिख

मारवाड़ और मेवाड़ से नाता तोड़ लिया

12. चरमोत्कर्ष और मुगल साम्राज्य मराठों और दक्कन का संकट:-

मराठों का उदय – शिवाजी का प्रारंभिक जीवन –

 भारतीय प्रशासनिक सेवा (राज क्र.)

पुरंदर की संधि - आगरा यात्रा

शिवाजी का स्वराज्य - प्रशासन और उपलब्धियाँ

औरंगजेब और दक्कनी राज्य (1658-87)

मराठा और दसीन (1687-1707)

औरंगजेब और जागीरदारी संकट का आकलन

13. समाज-संरचना एवं विकास :-

ग्रामीण समाज

कस्बों और कस्बों का जीवन

कारीगर और मास्टर-शिल्पकार

औरत

नौकर और गुलाम

जीवन स्तर

द रूलिंग क्लासेस - नोबिलिटी, रूरल जेंट्री

मध्य स्तर

वाणिज्यिक वर्ग

14. आर्थिक जीवन-पद्धति एवं संभावनाएँ :-

अंतर्देशीय व्यापार

विदेशी व्यापार - विदेशी व्यापार की भूमिका

कंपनियां - भारतीय व्यापारियों की भूमि-भूमि व्यापार की स्थिति

मुगल राज्य और वाणिज्य

के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था और संभावनाओं की प्रवृत्ति

अठारहवीं सदी की पहली छमाही

15. धर्म, ललित कला, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी :-

धर्म- हिन्दू धर्म, सिक्ख धर्म, इस्लाम

ललित कलाएँ – वास्तुकला, चित्रकला, भाषा और साहित्य, संगीत

विज्ञान और तकनीक

16. अठारहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में उत्तरी भारत :-

बहादुर शाह प्रथम, और संघर्ष की शुरुआत

विजारत के लिए - राजपूत मामले - मराठों और

डेक्कन - पार्टी स्ट्रगल का एक्सेंचुएशन

'नए' विजारत के लिए संघर्ष: जुल्फिकार खान और जहांदार शाह (1712-13)

सैय्यद बंधुओं का 'नई' विजारत के लिए संघर्ष

सैय्यद 'नया' विजारत

एम. अमीन खान और निजाम-उल-मुल्क की वजारत

क्षेत्रीय राज्यों का उदय, भारत के विदेशी आक्रमणों की शुरुआत (1725-48)

17. मराठों की सर्वोच्चता की बोली :-

मराठा और उनकी विस्तार की नीति

मराठा और निज़ाम-उल-मुल्क

मराठा गुजरात और मालवा में आगे बढ़े

दोआब और पंजाब में मराठा उन्नति:

पहला चरण (1741-52); दूसरा चरण (1752-61);

पानीपत का तीसरा युद्ध

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