कांग्रेस मंत्रियों का इस्तीफा (1939)
1939 में कांग्रेस मंत्रियों का इस्तीफा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण घटना थी। जुलाई 1937 में, कांग्रेस पार्टी ने कई भारतीय प्रांतों में प्रांतीय चुनावों में बहुमत हासिल किया और सरकारें बनाईं। हालाँकि, कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों को ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा, जिसने निर्वाचित कांग्रेस मंत्रियों के साथ सहयोग करने से इनकार कर दिया।
मार्च 1939 में, ब्रिटिश वायसराय, लॉर्ड लिनलिथगो ने मांग की कि भारतीय नेता बिना किसी शर्त के चल रहे द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन का समर्थन करें। जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं ने इस मांग को मानने से इनकार कर दिया, क्योंकि उनका मानना था कि युद्ध में ब्रिटेन का समर्थन करने के लिए कहने से पहले भारत को स्वतंत्रता दी जानी चाहिए।
परिणामस्वरूप, नेहरू और अन्य कांग्रेस नेताओं ने ब्रिटिश सरकार की नीतियों के विरोध में प्रांतीय सरकारों में अपने पदों से इस्तीफा देने का फैसला किया। इस कदम को "भारत छोड़ो" आंदोलन के रूप में जाना जाता था, और इसने अंग्रेजों को तुरंत भारत छोड़ने का आह्वान किया।
कांग्रेस के मंत्रियों के इस्तीफे ने भारत में एक राजनीतिक संकट पैदा कर दिया, और ब्रिटिश सरकार ने नेहरू सहित कई कांग्रेस नेताओं को गिरफ्तार कर जवाब दिया। भारत छोड़ो आंदोलन जारी रहा, और इसने स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मोड़ दिया।
कुल मिलाकर, 1939 में कांग्रेस मंत्रियों का इस्तीफा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण घटना थी, क्योंकि इसने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के प्रति भारतीय आबादी के बीच बढ़ते असंतोष को उजागर किया और विरोध और प्रतिरोध की एक नई लहर को जन्म दिया।
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